हम सब ने गाय का दूध , बकरी का दूध यहाँ तक की ऊँट का दूध पिया होगा या फिर सुना ज़रूर होगा । पर क्या कभी आपने गधी के दूध के बारे में सुना है ? अगर नहीं सुना हैं तो आइए आज हम आपको गधी के दूध के बारे में बताते हैं ।
आपको यह जानकार शायद हैरानी होगी की गधी का दूध इंसानी दूध से काफी मिलताजुलता है इंसानी दूध की तरह गधी के दूध में भी प्रचूर मात्रा में विटामिन्स और ज़रूरी फैटी एसिड होते है और प्रोटीन की मात्रा कम होती है पर गाय की तुलना में इसमें फैट ( वसा ) की मात्रा कम होती है । और ऐसा कहा जाता है की गधी का दूध गाय के दूध की अपेक्षा काफी आसानी से पच जाता है । UN Food and Agriculture Organization के अनुसार गधी के दूध में काफी पोषक फायदे होते है और जिन्हे गाय के दूध से एलर्जी होती है वे गधी का दूध पिसकते है । गधी का दूध जल्दी फट जाता है लेकिन इससे पनीर नहीं बनाया जा सकता है ।
गधी के दूध में ऐंटीऐजिंग गुण और एंटीऑक्सिडेंट सामग्री तथा रिजनरेटिंग कम्पाउंड होते है । जो हमारी त्वचा को जवान रखने में मदद करती है । ऐसा कहा जाता है की सौंदर्य प्रसाधन के रूप में मिस्र की महारानी क्लियोपेट्रा गधी के दूध से भी सनान किया करती थीं जिससे उनकी त्वचा की खूबसूरती बढ़ सके ।गधी का दूध इंसानी त्वचा को मुलायम तथा पोषण प्रदान करता है ।
गधी के दूध में चार प्रकार का विटामिन-सी पाया जाता है जैसे गाय के दूध में । गधी के दूध में विटामिन A , B 1 , B 2 , B 6 , D और E भी पाया जाता है । आज के समय में गधी के दूध का प्रयोग ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में भी किया जाता है । जिनकी त्वचा संवेदनशील है वे गधी के दूध से बने साबुन , क्रीम और लोशन का प्रयोग कर सकते है । वैसे भारत में इसके बने प्रोडक्ट्स शायद ही बाज़ार में उपलब्ध हों परन्तु यूरोप में इसके बने प्रोडक्ट्स काफी आसानी से मिलते हैं । UK में गधी के दूध की फार्मिंग की जाती है । पर गधी के दूध का उत्पादन उतना नहीं किया जाता जितना गाय का किया जाता है । जिन्होंने भी गधी का दूध पिया है वो बताते है की इसका स्वाद काफी अच्छा होता है और गाय की अपेक्षा थोड़ा मीठा होता है ।
कुछ जगहों में कोरोना काल में गधी के दूध की मांग काफी बढ़ी है जैसे अल्बानियाँ की राजधानी तिराना में । तिराना के दक्षिण में एक छोटा सा डोंकी फार्म है । 2019 में यहाँ सब कुछ धीमें अंदाज़ में चल रहा था हर दिन गधे लोंगो और सामान को ढ़ोने के इस्तेमाल में आते थे लेकिन 2020 के बसंत में अल्बानियाँ में भी कोरोना ने दस्तक दे दी लोग बीमार पड़ने लगे वहीं के फार्म के एक मैनेजर ने बताया की गधी के दूध की डिमांड बहुत तेज़ी से बढ़ गई है । खासतौर पर हाल के महीनों में कोरोना वाइरस के बढ़ते मामले के चलते कुछ लोंगो ने दवा के साथ गधी का दूध प्रयोग किया और उसके जबरदस्त फायदे को देखा । देखते ही देखते फार्म के कारोबार में तेज़ी आगई अब वहाँ कई लोग गधी के दूध की मांग कर रहे है । लोगों के हिसाब से इसमें कई औषधीय गुण मौजूद है । उस मेनेजर ने यह भी बताया की बढ़ती मांग का सम्बन्ध इस प्रोडक्ट के फायदे से जुड़ा है । उन्होंने यह भी बताया की इसका औषधीय फायदा यह है की यह फेफड़ों को मजबूत करने में मदद करता है यह कफ , ब्रोंकाइटिस और दमा में भी मदद करता है । यह इम्यून सिस्टम को भो मजबूत करता है ।
वहीं की एक स्थानीय लड़की ने बताया जिसका नाम क्लेरा यमेरी है । ये ऐग्रो इनवारोमेन्टल इंजीनियरिंग की पढाई कर रहीं हैं । इनका परिवार भी कोरोना के चपेट में है । उनका कहना है की मै अपने माता - पिता की मदद कर रही हूँ उन्हें कोरोना हो गया था अब वे गधी का दूध ले रहे है और उन्हें उसके काफी फायदे दिख रहे है। वैज्ञानिक रूप से इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है की गधी का दूध कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर है लेकिन यह बात जरूर है की इसमें फायदेमंद तत्व है इसलिए अल्बानिया के गधे पालको ने अपने गधों को गायों की तरह पालना शुरू कर दिया है वे अब ज़्यदा गधियों से काम नहीं लेते है । जहाँ पहले गाधियो को बोझा ढ़ोने और सवारी ढोने के रूप में प्रयोग किया जाता था वहीं अब उन्हें चारा खिलाया जाता है और उनसे दूध निकला जाता है ।
गधे दुसरे पालतू जानवर के मुकाबले बहुत ही सीधे स्वभाव के जानवर होते है । अल्बानिया की ज्यादातर आबादी गरीबी से जूझ रही है ऐसे में गधी का दूध वहाँ अब 50 euro प्रति लीटर बिकता है । भारतीय रुपया के हिसाब से 4495 रूपय जिसके कारण उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है और वे गधी के दूध को प्रोसेस कर अन्य उत्पाद भी बना रहें है ।
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