Purple heart
Purple heart यह एक बहुत ही अनोखी लकड़ी होती है ।इस लकड़ी का रंग बैगनी होता है इसी कारण इसे पर्पल हार्ट कहते है । इसके कई अन्य नाम भी है जैसे amendoim ,violet wood और amaranth ।यह ''Peltogyne ''नामक पेड़ की लकड़ी होती है ।यह पेड़ दक्षिणी अमेरिका ,पनामा ,कोस्टा रिका ,मेक्सिको और दक्षिण पूर्वी ब्राज़ील में पाया जाता है ।यह पेड़ एक फूलों की प्रजाति वाला पेड़ है इसपर खिलने वाले फूल छोटे और पाँच पंखुड़ियों वाले और सफ़ेद रंग के होते है । यह पेड़ मध्यम आकर से लेकर 30 से 50 मीटर तक लम्बा होता है और इसके तने का व्यास 1 .5 मीटर तक का होता है ।
जब इस पेड़ को कटा जाता तब इसका रंग गाढ़े भूरे रंग का होता है फिर तुरंत ही गाढ़े भूरे से बैगनी रंग में बदल जाता है ।पर्पल हार्ट की लकड़ी बहुत ही टिकाऊ और जल प्रतिरोधी होती है ।
इस लकड़ी का प्रयोग वाद्ययंत्रो को बनाने में किया जाता है जैसे - गिटार ,वालयन और ड्रम में किया जाता है ।इसका प्रयोग फर्नीचर और सजावटी सामान बनाने में भी होता है साथ ही जल प्रतिरोधी होने के कारण इसका प्रयोग फर्श बनाने में भी किया जाता है ।यह लकड़ी बहुत ही महंगी होती है इसीलिए इसका प्रयोग छोटे पैमाने पर ही किया जाता है ।
Aferican BlackWood
यह संसार की सबसे दुर्लभ लकड़ियों में से एक है यह लकड़ी पूर्ण रूप से काली होती है जो Dalbergia Melanoxylon नामक पेड़ की लकड़ी होती है ।अफ़्रीकी ब्लैकवुड मध्य और दक्षिणी अफ्रीका के 26 देशो में पाया जाता है लेकिन केनीया और तंज़ानिया जैसे देशो में अवैद तस्करी की वजह से समय से पहले ही इन पेड़ो को काट लिया जाता है इससे ब्लैकवुड की संख्या में काफी कमी आई है ।जिसकी वजह से ये दुर्लभ हो गया है ।अफ़्रीकी ब्लैकवुड लकड़ी का ज़्यादातर इस्तेमाल शहनाई ,बासुरी और गिटार बनाने में किया जाता है ।यह संसार की सबसे कठोर लकड़ियों में से एक है और इसकी कीमत भी सबसे अधिक है 1 किलो अफ़्रीकी ब्लैकवुड लकड़ी की कीमत 8000 पौंड यानि 7 लाख रुपय है ।
इसका पेड़ सूखे स्थानों में उगता है और कई प्रकार की मिट्टियों में उग सकता है ।इसके बढ़ने की रफ्तार काफी धीमी होती है सात साल में सिर्फ चार मीटर और पूर्ण रूप से परिपक़्व होने में 70 से 100 साल का समय लगता है ।1000 साल पहले प्राचीन मिश्र में इसकी लकड़ी का आयात किया जाता था ।
अफ़्रीकी ब्लैकवुड की लकड़ियों में औषधीय गुण भी होता है ।ऐसा कहा जाता है की इसकी जड़ो का प्रयोग गर्भपात होने से बचाता है और साथ ही डायरिया और जोड़ो के दर्द में भी लाभ मिलता है ।यह एंटीबैक्टीरियल और एन्टीफंगल होता है इस कारण इससे घावों को धोने में लाभ मिलता है । इसकी लकड़ी को जलाकर सूंघने से सिर दर्द ,जुखाम और ब्रोंकाइटिस से निजाद पाने में मदद मिलती है ।इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से जोड़ो के दर्द में राहत मिलती है ।
Pink Ivory
यह वृक्ष अफ्रीका में पाया जाता है इसकी लकड़ी गहरे गुलाबी रंग की होती है और बहुत कठोर होती है ।इससे अनेक प्रकार की सामग्री बनाई जाती है जैसे - चाकू का हैंडल ,फर्नीचर और सजावटी सामान आदि । यह मुख्य्तः ज़िम्बाबवे ,मोज़ांबिक और साउथ अफ्रीका में पाया जाता है । इस लकड़ी की सघनता बहुत होती है । जिस कारण यह बहुत मज़बूत होती है ।
यह ज़ुलु लोगो के लिए बहुत ही श्याही लकड़ी होती है । 1879 के एंग्लो -ज़ुलु युद्ध के पहले सिर्फ श्याही घराने के लोगो को ही इस लकड़ी से बनी चीज़े रखने का अधिकार था ।ज़ुलु के राजा पिंक आइवरी से बना एक छण धारण करते थे जो की एक और से मोटा गोलाई नुमा आकर का होता था ।राजा इससे बने आभूषणों को भी पहनता था ।ऐसा कहा जाता की जो लोग श्याही खानदान के नही होते थे वो अगर पिंक आइवरी से बानी चीज़ो को धारण करते व रखते तो उन्हें मार दिया जाता ।
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