यह बहुत ही सुंदर रंगों के पंखों वाली एक मछली होती है। यह आकार में बहुत छोटी होती है और अनेक प्रकार के रंग बिरंगो की होती है जिनमें लाल पीला काला नारंगी आदि। आमतौर पर यह मछली अकेले रहना पसंद करती है। मछलियों के पंखों का आकार काफी बड़ा होता है और सुंदर होते हैं और यही आकर्षण का केंद्र होते हैं। इन्हें आप घरों में भी पाल सकते हैं और आजकल यह हर एक्वेरियम में उपलब्ध है यह स्वाभाविक रूप से काफी आक्रमक भी होती है।मादा की तुलना नर में बेटा मछली के पंख काफी चमकीले और बड़े होते हैं।नर बेटा मादा बैटा को रिझाने के लिए मादा के चारों अपने आकर्षक पंखो द्वारा नृत्य करते हैं। प्रजनन प्रक्रिया के दौरान नर बैटा बुलबुलों से एक जाल बनाते हैं। जोकि विभिन्न आकार के होते हैं। प्रजनन प्रक्रिया के पश्चात मादा द्वारा उत्पन्न किए गए अंडों को सावधानी से अपने मुँह की सहायता से उन अंडों को सतह पर तैरते उन बुलबुलों के जाल में रख देते है। वैसे तो यह देखा गया है कि अधिकांशतः मादा जीव जंतु अपनी संतान के प्रति काफी संवेदनशील होती है और उनकी रक्षा करती हैं। परंतु इसके विपरीत अधिकतर यह देखा गया है कि मादा बैटा अंडे देने के बाद अंडों को खाने का प्रयास करती है लेकिन अंडे नर बैटा के संरक्षण में होने के कारण अंडे सुरक्षित रहते हैं। नर की यह जिम्मेदारी होती है की एक भी अंडा सतह पर ना गिरे और बुलबुला कमजोर होने पर नर फिर से उसकी मरम्मत करता है। 24 से 36 घंटे बाद अंडे में से छोटे-छोटे मछलियों के बच्चे निकलते हैं जिन्हें अंग्रेजी में फ्रे (fry) कहते हैं।
प्रमुख बातें
1. यह उष्णकटिबंधीय (Tropical) क्षेत्र में रहती हैं यह वह स्थान होते हैं जहाँ सर्दी और गर्मी दोनों होती है 24 से 28 तक का तापमान इनके लिए उपयुक्त होता है।
2. यह मछलियाँ मुख्यतः मांसाहारी होती है यह छोटे-छोटे कीड़े मकोड़ों से लेकर मच्छर के लारवा और पानी में रहने वाले अनेक सूक्ष्म जीवों को खाती है।
3. ये
19वीं
शताब्दी के मध्य से पाली जाने
लगी थीं। यह मुख्य रूप से थाईलैंड (Thailand) में पाई जाती है और
स्थिर पानी में रहती है। लेकिन आज कई देशों में इनका प्रजनन करवाया जाता है।
4. यह अपने प्राकृतिक वास में 10 साल तक और एक्वेरियम में 4 से 5 साल तक जिंदा रह सकती हैं।
5. यह एक ऐसी मछली है जो कम पानी में भी और कम ऑक्सीजन में भी रह सकती है।इनके
पास एक खास अंग होता है जिसे (Labyrinth) कहते हैं। जिससे
यह कम पानी में भी जीवित रह
सकती हैं या उन्हें कम वातावरण
से ऑक्सीजन लेने में सहायता
करता है।
6.यह
गोल्डफिश के बाद दुनिया में
पाले जाने वाली सबसे प्रचलित
मछलियों में से एक है।
7.2019 को Thailand council of minister ने बैटा मछली को National Thailand aquatic animal घोषित किया।
हमें बैटा मछली को पालते समय कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए
बैटा मछली को जिस टैंकं मैं रखते हैं उस पानी का 78 से 80 f और 26 से 35° c होना चाहिए। आपको इन्हें पालते वक्त इनके टैकं के आकार का भी विशेष ध्यान देना चाहिए टैंकं का आकार कम से कम 5 गैलन या उससे अधिक होना चाहिए आकार में 1.5 फुट या उससे अधिक यह आकार उनके फलने फूलने में काफी मदद करता है। टैंकं का पानी हर 3 दिन में 50% बदलना चाहिए नहीं तो मछली को कई नुकसान हो सकते हैं। अगर एक ही टैंक में दो नर बैठा मछली को रखा जाए तो वे आपस में ही काफी लड़ते हैं। इसीलिए अगर टैंक छोटे आकार का है तो हमें इन्हें पालते वक्त दो नरो को एक साथ नहीं रखना चाहिए।यह
मछली रंगीन और कुछ अन्य मछलियों
को नुकसान पहुँचा सकती हैं
जैसे गप्पी या एंजल फिश इसलिए
उन्हें कभी भी किसी और प्रजाति
के जीवो के साथ नहीं रखना चाहिए।इसीलिए इसके साथ पाली जाने वाली मछली का चयन मछली के जानकार के परामर्श अनुसार करें।
इनकी आक्रामकता का कारण
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा जिस प्रकार कुश्ती के मुकाबले में अपने पसंदीदा पहलवानों पर बोली लगाई जाती है ठीक उसी प्रकार थाईलैंड में दो बैटा मछलियों के बीच मुकाबला करवाया जाता है और उन पर बोली लगाई जाती है। इसी कारण इन मछलियों को फाइटर फिश (Fighter fish) भी कहते हैं।प्राकृतिक स्थान पर रहने वाली बैटा मछली के मुकाबले यह बैटाएँ कई गुना ज्यादा आक्रामक होती हैं। और इन आक्रामकता वाली बैटा मछलियों को आपस में प्रजनन करवाकर और हिंसक नस्ल तैयार करते हैं।
इन की कुछ प्रमुख प्रजातियाँ
RED TAIL BEETA
CROWNTAIL BETTA
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