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Flying Fish in Hindi उड़ने वाली मछली फ्लाइंग फिश


 फ्लाइंग फिश एक बहुत ही आश्चर्यजनक मछली होती है   यह समुद्र में पाई जाने वाली मछली होती है   इस मछली के पास पंखो जैसे दिखने वाले फिन्स होते है   इन पंखों को अंग्रेजी में पैक्टोरल फिन्स (pectoral fins ) कहते है   हालांकि इनके पास पङ्ख ( पंख ) होने के बावजूद वे इन पङ्खों  से उड़ पाने में सक्षम नहीं होते लेकिन समुद्र में 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार की क्षमता से यह मछली तैर सकती है और इस गति से यह जब समुद्र के ताल से ऊपर आती है तो यह अपने पैक्टोरल फिन्स की सहायता से 200 मीटर तक ग्लाइड कर सकती है   यह पंख मुख्य रूप से ग्लाइड के लिए ही बने है और यह जब पानी के अंदर जाती है तो अपने पंखो को सिकोड़ लेती है  


इस मछली की एक और ख़ास बात यह है की इस मछली के पास एक नोकीली पूँछ होती हैं जिसे अंग्रेजी में forked tail कहते है जो इसे तैरते वक्त और ग्लाइड करते वक्त गति प्रदान करती  है   इस पूँछ का ऊपर वाला हिस्सा छोटा और निचला हिस्सा बड़ा होता है  आमतौर पर फ्लाइंग फिश का आकार 17 से 30 सेन्टीमीटर का होता है और अधिक से अधिक इसका आकार 45 सेन्टीमीटर तक का हो सकता है   


वैज्ञानिकों के अनुसार फ्लाइंग फिश की लगभग  40 प्रजातियाँ मौजूद है   यह मछली उष्णकटिबन्धीय और शितोष्ण समुद्री प्रजातियाँ है जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के अटलांटिक और प्रशान्त दोनों तटों पर देखा जा सकता है   यह मछली अटलान्टिक और प्रशान्त महासागर के अलावा हिन्द महासागर में भी पाई जाती है   


ऐसा माना जाता है की फ्लाइंग फिश में उड़ान तंत्र (flying mechanism ) का विकास इसलिए हुआ ताकि वे कई महासागरीय शिकारियों से बच सके   शिकारी मछलियों में टूना , मार्लिन , स्वार्डफिश और कई विशाल मछलियाँ शामिल है  जब भी यह मछलियाँ शिकार के लिए फ्लाइंग मछली का पीछा करती है तो फ्लाइंग फिश अपने दोनों पंखों के सहारे समुद्र से बाहर आकर ग्लाइड करके इन शिकारियों से बच जाती है परन्तु कभी कभार ग्लाइड करते समय यह मछली पक्षियों की खुराक भी  बन जाती है   

फ्लाइंग फिश वैसे तो कई प्रकार का भोजन करती है लेकिन इनका मुख्य आहार प्लैगंटन्स   होते है   आमतौर पर फ्लाइंग फिश पाँच वर्ष तक ज़िंदा रह सकती है   वैसे तो फ्लाइंग फिश की तादात स्थिर है लेकिन कुछ जगहों पर व्यवसाइक रूप से मानव द्वारा इसका शिकार भी किया जाता है  यह मछली प्रकाश के प्रति काफी आकर्षित होती है इसी का फायदा उठाते हुए इसका अधिकतर शिकार रात में किया जाता है  मछली पकड़ने वाले रात में शिकार करने के दौरान अपनी बोर्ट की लाइट जला देते है जिससे यह मछली सतह पर आ जाती है और मछुआरे इन्हे पकड़ लेते है  

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